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RBI vs Central Government Issue : जानिये रिज़र्व बैंक और सरकार के बीच में क्या मतभेद हैं ?

RBI vs Central Government Issue

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच आज कलकुच सही नहीं चल रहा है । ये विवाद अब कम होने का नाम नहीं ले रहा है और ऐसे में अब खबर आ रही है रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल अपने पद से स्तीफा दे सकते हैं । उर्जित पटेल ने सितंबर 2016 में आरबीआई के गर्वनर का पद संभाला था, रघुराम राजन का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक का नया गवर्नर बनाया गया था ।

अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो ये अटकले भी लगायी जा रही हैं की अगर रिजर्व बैंक के साथ अगर केंद्र सरकार के मतभेद आगे भी   कायम रहते है तो केंद्र  सरकार रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ऐक्ट 1934 के सेक्शन 7 का पहली बार इस्तेमाल कर सकती है । हालांकि आरबीआई के 83 वर्षों के इतिहास में कभी भी किसी भी सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट 1934 के सेक्शन 7 का इस्तेमाल अभी तक नहीं किया है अगर ये होता है तो पहली बार होगा ।

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच टकराव की 3 मुख्य वजहें :

1 . पहला मतभेद ये हैं की सरकारी बैंको को लेकर रिज़र्व बैंक के जो नियंत्रण नियम हैं उनसे सरकार खुश नहीं थी । सरकार ने कहा की नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोग सरकारी बैंको से इतने बड़े लोन लेते रहे और रिज़र्व बैंक को कैसे नहीं पता चला और रिज़र्व बैंक ने इसके ऊपर पहले कोई कार्यवाई  क्यों नहीं की ।  इसपे सफाई देते हुए रिज़र्व बैंक ने बोला की हम सरकारी बैंको पर एक हद तक ही निगरानी और नियंत्रण रख सकते हैं तथा उनकी रोज मर्रा की लेन देन पर हमारा नियंत्रण नहीं है ।

2 . दूसरा मतभेद जो है वो प्रॉम्प्टट करेक्टिव ऐक्शन (PCA)  को लेकर है सरकार चाहती है कि प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (PCA) यानी त्वरित सुधारवादी कार्रवाई के नियमों रिज़र्व बैंक को कुछ ढील देनी जानी चाहिए ताकि सरकारी  बैंक 10 हजार से ज्यादा लघु उद्योगों को और ज्यादा कर्ज दे सकें क्युकी विमुद्रीकरण से अभी लघु उद्योगों की हालत थोड़ी ख़राब है और उन्हें पूंजी की सख्त दरकार है। इस मुद्दे पर रिज़र्व बैंक का ये कहना है की प्रॉम्प्टट करेक्टिव ऐक्शन( PCA ) के नियमों में ढील देने से  उसे डर है कि इससे कमजोर सरकारी बैंक धड़ल्ले से प्राइवेट सेक्टर को लोन बांटेंगे जिससे कर्ज का संकट पैदा हो सकता है ।

3 .  हर साल रिज़र्व बैंक केंद्र सरकार को हज़ारो करोडो का लाभांश देता है । इसका मतलब ये हैं की रिज़र्व बैंक अपने सरप्लस फंड मे से जो उसका मुनाफा का कुछ हिस्सा है वो हर साल सरकार को देता है । पिछले साल रिज़र्व बैंक ने सरकार को Rs 65,876  करोड़ को दिए थे पर इस साल रिज़र्व बैंक ने सरकार को सिर्फ Rs 30,659 करोड़ ही दिए । इससे सरकार काफी नाखुश है क्युकी इस पैसे को सरकार ने अपने बोहोत साड़ी वेलफेयर स्कीम्स में इस्तेमाल करना था ।

अब ये देखना होगा कि क्या सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच सुलह हो जाएगी? ऊर्जित पटेल का कार्यकाल अगले साल सितंबर 2019  में समाप्त होने वाला है, क्या पटेल अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे या रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ऐक्ट 1934 के सेक्शन 7 के दबाव में स्तीफा  दे देंगे ?

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